सातवां पहर/सक्ती-मनोज यादव
मामला शैक्षणिक जिला सक्ती का है, शैक्षणिक जिला सक्ती के अंतर्गत संकुल केंद्रों में फर्नीचर की खरीदी होनी थी और यह खरीदी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लिपिक ने कर दी, जबकि ऑफिस में जिला शिक्षा अधिकारी के अलावा और भी वरिष्ठ लोग कार्यरत हैं इस बात को लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी से पूछा गया तो उनका कहना था खरीदी हमारी जानकारी में हुई है चाहे कोई भी खरीदें हम लोगों ने नियमों के अनुरूप ही खरीदी की है, लेकिन जिला स्तर के अधिकारी रहते हुए भी एक लिपिक का खरीदी करना कई सवाल पैदा करता हैं और अगर राशि 2156420 रुपए की हो तो जरूर सोचने वाली बात है, वैसे भी जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, इससे पहले भी ग्रीन बोर्ड खरीदी का मामला सामने आया था जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने मौन रहना ही ठीक समझा अभी तक इस मामले में जानकारी के अनुसार किसी भी स्कूल में ग्रीन बोर्ड की सप्लाई नहीं हो पाई है। वही अगर इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी से सप्लाई होने वाले स्कूलों की सूची की मांग करें तो उनका सीधा शब्दों में कहना होता है, हमें नहीं मालूम..यह मामला भी 50 लाख के ऊपर का है अगर कोई जिम्मेदार अधिकारी शासन के द्वारा प्रदान की गई इतनी बड़ी राशि में भी कुछ बताना नहीं चाहते तो सीधा समझ में आ जाता है कि उनसे भी बड़े जिले के अधिकारी का उनके ऊपर छत्रछाया है। वही बताया जा रहा है लिपिक के द्वारा जो फर्नीचर खरीदी हुई है वाह मानक स्तर में सही नहीं है।
विधानसभा तक जाएगा मामला
इस मामले में जैजैपुर विधानसभा के बसपा विधायक केशव चंद्रा के द्वारा कहा गया कि इस मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों को की गई है और अगर इस मामले में संतोषजनक जांच नहीं होती तो इस मामले को विधानसभा में उठाने का फैसला भी लिया जाएगा।
पहले भी आया है एक मामला सामने
लेकिन बता दे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जो भी मामला सामने आया है उसे अधिकारियों द्वारा दबाने का ही प्रयास किया गया है वही लोगों का मानना है की ग्रीन बोर्ड खरीदी की तरह फर्नीचर खरीदी भी कमीशन और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई